बिक्री पेशकश (ओएफएस) के हिस्से के रूप में लाइटरोक, ट्राइब कैपिटल, बर्टेल्समैन, अरविंद लिमिटेड, गौतम कपूर, साहिल गोयल और विशेष खुराना अपनी हिस्सेदारी कम करेंगे.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा कि आंकड़ों के विश्लेषण के माध्यम से उसने पाया है कि पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) या धर्मार्थ संस्थानों को दान के नाम पर बड़ी मात्रा में फर्जी दावे किए गए हैं, जिससे उनके कर दायित्वों को कम किया गया है और फर्जी धनवापसी का भी दावा किया गया है.
मैक्सिको में भारत का निर्यात इस फैसले से प्रभावित हो सकता है. टैरिफ बढ़ने से भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे निर्यात में कमी आ सकती है. इसका असर व्यापारिक संतुलन पर भी पड़ेगा. इसलिए यह मामला व्यापार और आर्थिक दोनों दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है.
शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, पांच दिसंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख घटक विदेशी मुद्रा आस्तियां 1.51 अरब डॉलर घटकर 556.88 अरब डॉलर रह गईं।
पिछले कुछ दिनों में हल्की नरमी के बाद सोना की कीमतों में तेजी आई। कीमती धातु में इस तेजी को मुख्य रूप से कमजोर रुपये और निवेशकों की निरंतर मांग का समर्थन मिला।
अगर अमेरिका पेनाल्टी टैरिफ हटाता है तो भारत भी जवाब में अपने कुछ टैरिफ को घटाकर 15 से 16 फीसदी तक ला सकता है. यह टैरिफ अमेरिका द्वारा लिए गए फैसले के बदले में लगाए गए थे. यदि ये कम होते है तो आयात और निर्यात दोनों तरफ असर दिखाई देगा. भारतीय निर्यातको को राहत मिलेगी और इम्पोर्टेड गुड्स की कास्ट भी घट सकती है. यह कदम डील को आगे बढाने में सहायक माना जा रहा है.
अमेरिका द्वारा भारतीय सामान पर 50 फीसदी तक टैरिफ लगाने से भारत के निर्यात पर दबाव बढ़ा है. इसी कारण डॉलर की मांग बढ़ी है और रुपये की स्थिति बिगड़ी है. स्थानीय इक्विटी भी कम आकर्षक हुई जिससे विदेशी निवेशक दूर हो रहे हैं. इन सब परिस्थितियों ने रुपये को लगातार कमजोर किया है.
घरेलू बाजार में 65 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रखने वाली इंडिगो ने दो दिसंबर से सैकड़ों उड़ानें रद्द कर दीं जिससे हजारों यात्रियों को परेशानी हुई है। अब स्थिति स्थिर हो रही है।
‘2025 ईवी बैटरी टेक्नोलॉजी रिव्यू रिपोर्ट’ के अनुसार, अगले सात वर्ष में 35 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि की उम्मीद है जो देश के मोटर वाहन क्षेत्र में एक बड़े बदलाव का संकेत है।
गोयल ने भारत की तरफ से रखी गई पेशकश पर ट्रंप प्रशासन के विचारों का स्वागत किया। लेकिन उन्होंने दोनों देशों के बीच लंबे समय से इंतज़ार किए जा रहे मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर की कोई समयसीमा बताने से परहेज किया।